Advertisement

Breaking

हिन्दी समाचार पत्र

शनिवार, 11 नवंबर 2023

मेडिकल कालेज मेरठ में चार हाथ एवम चार पांव वाले नवजात का ईलाज किया जा रहा है

 ✳️ मेडिकल परमाणु ऊर्जा निगम में चार हाथ वाले एवम चार टुकड़े वाले नवजात का ईलाज किया जा रहा है ✳️ 



➡️प्रतिनिधि : प्रखर प्रवाह समाचार-- मेडिकल मेडिकल के मीडिया प्रभारी डीए वी डी पांडे ने बताया कि एक नवजात शिशु का जन्म मुजफ्फरनगर में उनके घर 06-11-23 को दोपहर 03:30 बजे हुआ था। बच्चे के जन्म के बाद उसके पिता को बताया गया कि बच्चे का 04 हाथ और 04 पैर का टेबल है, वो बच्चे को जिला अस्पताल मुजफ्फरनगर लेकर गया, जहां से बच्चे को मेडिकल मेडिकल कॉलेज के लिए भर्ती कराया गया।

डीए0 नवरत्न गुप्ता  विभाग के अध्यक्ष बाल रोग विभाग ने बताया कि बच्चे के पिता से की गई बात चीत से पता चला कि यह बच्चा बड़ा तीन आकृतियों वाला है उम्र क्रमशः 7, 4, 1 वर्ष है और यह चौथा बच्चा है। सभी बच्चों के प्रसव घर पर दाई द्वारा ही लगाए गए थे। जब चाइल्ड मेडिकल कंपनी में भर्ती किया गया तब सांस लेने में समस्या का इलाज किया गया था और नालकी के माध्यम से दूध दिया जा रहा है और बच्चे की स्थिति स्थिर बनी हुई है। इस प्रकार की विकृति जुड़वां बच्चों की आकृति (कंप्लीकेशन) है। एक बच्चा तो पूरी तरह से विकसित हुआ लेकिन दूसरे बच्चे का पूरा विकास धड़ से दूसरे भाग का ही हो गया और धड़ से ऊपर का हिस्सा विकसित हुआ और दूसरे बच्चे का पूरा विकास एक में ही शामिल हो गया। वहीं देखने में ऐसा अनोखा हो रहा है कि एक बच्चे के दो हाथ और दो पैर हैं जबकि एक बच्चे के दो हाथ और दो पैर हैं और दूसरा पिछड़ा है। इस प्रकार के बच्चों की पसंद 50 से 60 हजार में से एक बच्चे की ही होती है। अगर किसी माता-पिता का पहला और दूसरा बच्चा नाममात्र का है तो ऐसा नहीं है कि उनके अगले जन्म वाले बच्चों का चरित्र नहीं आएगा। बच्चे के पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे का किसी भी तरह का इलाज मेडिकल मेडिकल में हो और इस बच्चे के अतिरिक्त अंगो की सर्जरी को हटाकर सामान्य जीवन यापन और दैनिक उपयोग के सभी कार्य उचित बनाए जाएं और सामाजिक स्तर पर बनाए जाएं। 

डीए0 चौधरी , विभागाध्यक्ष, स्त्री प्रसूति रोग विशेषज्ञ ने बताया कि भारत सरकार द्वारा जननी सुरक्षा योजना के माध्यम से आम जनमानस तक यह जागृति व्याकरण का प्रयास किया जा रहा है कि कोई भी गर्भवती सुरु के तीन माह के बीच एक बार, चार से छह माह के बीच एक बार और सात से नौ माह के मध्य दो बार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र/सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र/जिला वैज्ञानिक/वैज्ञानिक स्नातक में स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ से आवश्यक सलाह ले एवं निःशुल्क औषधि एवे लाभ का लाभ लें। प्रथम तीन माह की गर्भवती महिला के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है जिसमें कुछ औषधियों का सेवन शामिल है जिसके सेवन से नवजात शिशुओं में कमी आती है। यदि गर्भवती महिलाएं डॉक्टर से संपर्क करती हैं तो डॉक्टर अल्टासाउंड के मैम से गर्भ का परीक्षण समय-समय पर किया जाता है। डीए0 चौधरी ने बल देते हुए कहा कि हर गर्भवती महिला का 18 से 20 सप्ताह की गर्भावस्था में नवजात शिशुओं को देखने के लिए अल्टासाउंड विशेषज्ञ द्वारा प्रयोगशाला जाना अति आवश्यक है। यदि किसी बच्चे का गर्भ समाप्त हो गया है तो 24 सप्ताह से अधिक समय तक गर्भ समापन (एमटीपी) किया जा सकता है।

डा0 आर0सी0 गुप्ता, प्रधानाचार्य, मेडिकल कालेज मेरठ ने बताया कि बच्चे के इलाज का मेडिकल कालेज के विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम (बालरोग विशेषज्ञ/पीडियाट्रीक सर्जन/प्लास्टिक सर्जन/एनेस्थिसिया) के साझा प्रयास से बच्चे को सामान्य बनाये जाने हेतु हर सम्भव प्रयास किया जायेगा।

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें