विमर्श🔸चोर की मां को सजा कब?
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कानपुर के इत्र व्यापारी पीयूष जैन के यहां जीएसटी इंटेलिजेंस की टीम द्वारा की जा रही छापेमारी में बरामद संपत्ति केंद्रीय प्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड के इतिहास की सबसे बड़ी बरामदगी कहीं जा रही है। पीयूष जैन ने अपनी अकूत संपत्ति छिपाने के लिए अपने घर की दीवारों की अलमारियों के ऊपर कंक्रीट की पर्त और सुरंगनुमा अलमारियों को फर्श व तहखाने मे बना रखा था। जिनके ऊपर कंक्रीट व प्लाईवुड की लेयर थी। जिसके चलते सरकार को नोटों की सुरक्षित बरामदगी के लिए आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की मदद लेनी पड़ी। सरकार द्वारा लगभग 280 करोड़ रुपए की बरामदगी के बाद पुलिस ने पीयूष जैन को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया है। लेकिन सवाल यह उठता है कि जिस राजनीतिक दल के संरक्षण में पीयूष जैन ने टैक्स चोरी कर अकूत संपत्ति हासिल की उस दल के मुखिया और उसके बेटे पर सरकार की इतनी मेहरबानी क्यों? जबकि यह बात किसी से छिपी नहीं है कि कोई भी अपराध बिना राजनीतिक संरक्षण और भ्रष्ट नौकरशाहों के सहयोग के बिना नहीं हो सकता। इसलिए कहावत भी है कि "चोर नहीं! चोर की मां को पहले सजा होनी" चाहिए। इस लेख का आशय इतना भर है कि भ्रष्ट व्यवस्था पर कुठाराघात के लिए अपराधी को संरक्षण देने वाले सियासी नेताओं और भ्रष्ट नौकरशाहों को कठोर से कठोर दंड मिलना चाहिए। क्योंकि पीयूष जैन द्वारा एकत्र की गई अकूत संपत्ति सियासी उद्देश्यों के लिए हासिल की गई थी। इस संपत्ति को हासिल करने में पीयूष जैन को 1 या 2 वर्ष नहीं बल्कि कई वर्ष लगे होंगे और अनेको राजनेताओं का संरक्षण और नौकरशाहों का सहयोग भी रहा होगा है।
~पारस परमश्रेष्ठ, मेरठ।
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